mainदेश-विदेशब्रेकिंग न्यूज़

Toxic statement: गिलानी के निधन पर इमरान खान ने उगला जहर, आधा झुकवाया पाकिस्‍तान का झंडा

इस्‍लामाबाद,02सितंबर(इ खबर टुडे)। जम्‍मू-कश्‍मीर में पाकिस्‍तान के नापाक मंसूबों को फैलाने में जुटे अलगाववादी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने निधन पर भी पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान जहरीले बयान देने से बाज नहीं आए। इमरान खान ने भारत पर निशाना साधा और गिलानी को ‘पाकिस्‍तानी’ बताते हुए देश के झंडे को आधा झुकाने का ऐलान किया। यही नहीं इमरान ने एक दिन के राष्‍ट्रीय शोक का भी ऐलान किया है।

पाकिस्‍तान के पीएम ने ट्वीट करके कहा कि कश्‍मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुखी हूं। गिलानी जीवनभर अपने लोगों और उनके आत्‍मनिर्णय के अधिकार के लिए लड़ते रहे। इमरान ने कहा कि भारत ने उन्‍हें कैद करके रखा और प्रताड़‍ित किया। इमरान ने कहा, ‘हम पाकिस्‍तान में उनके संघर्ष को सलाम करते हैं और उनके शब्‍दों को याद करते हैं- हम पाकिस्‍तानी हैं और पाकिस्‍तान हमारा है। पाकिस्‍तान का झंडा आधा झुका रहेगा और हम एक दिन का आधिकारिक शोक मनाएंगे।’

बाजवा ने भारत पर भी आरोप लगाए
गिलानी के निधन से पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को भी झटका लगा है। जनरल बाजवा ने कहा कि गिलानी के निधन पर उन्‍हें दुख है। वह कश्‍मीर के स्‍वतंत्रता आंदोलन के अगुआ थे। बाजवा ने भारत पर भी आरोप लगाए। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी जहरीले बयान दिए। कुरैशी ने गिलानी को कश्‍मीरी आंदोलन का पथ प्रदर्शक बताया और कहा कि वह नजरबंदी के बाद भी अंतिम सांस तक संघर्ष करते रहे।

भारत विरोधी बयानों के लिए मशहूर रहे गिलानी को पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा था। इससे पहले गिलानी का 92 साल की उम्र में श्रीनगर में बुधवार रात को निधन हो गया था। कश्मीर में गिलानी के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी एक आवाज पर कश्मीर बंद हो जाता था। हालांकि ऐसे भी मौके आए हैं जब कश्मीरी आवाम ने एक तरह से गिलानी का ही बॉयकॉट कर दिया था। सैयद अली शाह गिलानी काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

कश्मीर की जनता को कहा था कि चुनावों में भाग ना ले
सैयद अली शाह गिलानी ने साल 2014 के चुनावों का बॉयकॉट किया था। उन्होंने अपने संदेश में कश्मीर की जनता को कहा था कि चुनावों में भाग ना ले जिसके बाद आतंकियों ने ऐसे कई नागरिकों की हत्या की जो चुनावों में भाग ले रहे थे। हालांकि कश्मीर की जनता ने चुनाव की जगह गिलानी का बॉयकॉट किया क्योंकि इसके उलट राज्य में 65 फीसदी मतदान हुआ था। जम्मू-कश्मीर में 25 सालों बाद ऐसा हुआ था।

Related Articles

Back to top button